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शिल्पग्राम को मिला बेहतर प्रतिसाद: बुनकरों और शिल्पकारों ने किया एक करोड़ से अधिक का व्यवसाय

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परंपरागत शिल्प और बुनकरी के प्रति लोगों का रूझान लगातार बढ़ रहा हैं। राज्योत्सव के अवसर पर साइंस कॉलेज मैदान में बनाए गए शिल्पग्राम में इस बार लोगों ने जमकर अपनी रूचि दिखाई। बुनकरों और शिल्पकारों ने लगभग एक करोड़ रूपए की सामग्री की बिक्री की है। आदिवासी नृत्य महोत्सव में भाग लेने आये हुए देश-विदेश के कलाकारों ने भी शिल्पग्राम का अवलोकन कर बुनकरों और शिल्पियों की कला-कलाकृतियों की सराहना की।

राज्योत्सव के अवसर पर लगाए गए शिल्पग्राम में प्रदेश के बुनकर, शिल्पियों,कुम्भकारों एवं चर्मशिल्पियों के द्वारा उत्पादित विभिन्न सजावटी और दैनिक उपयोग की वस्तुएं प्रदर्शित की गई थी। लोगों ने इस बार शिल्पग्राम की वस्तुओं में अधिक रूचि दिखाई, जिसके कारण राज्य के शिल्पकारों और बुनकरों ने एक करोड़ से अधिक का व्यवसाय किया। शिल्पग्राम के नोडल अधिकारी श्री बी.पी. मनहर ने बताया कि बुनकर सहकारी समितियों द्वारा 71.22 लाख रुपए, रेशम प्रभाग द्वारा 1.62 लाख रुपए, हस्तशिल्प द्वारा 25.58 लाख रुपए, माटीकला द्वारा 4.81 लाख रुपए, छ.ग. खादी बोर्ड द्वारा 3.37 लाख रुपए सहित  कुल योग एक करोड़ 6 लाख 63 हजार रुपए की सामग्री का विक्रय किया।

गौरतलब है कि यहां पर कुल 40 स्टॉल में 72 बुनकर एवं शिल्पियों जिसमें राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत बुनकर और शिल्पियों द्वारा अपने उत्पादों का प्रदर्शन एवं विक्रय तथा चाक पर मिट्टी के बर्तनों का निर्माण एवं करघे पर वस्त्र बुनाई का जीवंत प्रदर्शन किया गया, वहीं रेशम प्रभाग के स्टॉल में कोसा एवं रेशम कीटों द्वारा ककून का निर्माण  एवं ककून से धागा निर्माण का जीवंत प्रदर्शन किया गया। शिल्पग्राम में बुनकर समितियों द्वारा कोसा साड़ी, शर्टिंग, सलवार सूट, दुपट्टा, जैकेट, शॉल एवं ड्रेस मटेरियल तथा कॉटन बेडशीट, बेडकव्हर, दरी, टावेल, रूमाल, शर्टिंग, बेलमेटल, काष्टशिल्प, टेराकोटा, बांस/केन की सामग्री एवं खादी के वस्त्र तथा चमड़े के जुते चप्पल आदि का प्रदर्शन कर विक्रय किया गया।

उल्लेखनीय है कि राज्योत्सव में स्व. श्री बिसाहूदास महंत सर्वश्रेष्ठ बुनकर पुरस्कार योजना अंतर्गत 04 बुनकरों को एक-एक लाख रूपये, शाल, श्रीफल और प्रशस्ति ताम्रपत्र तथा राजराजेश्वरी करुणामाता हाथकरघा पुरस्कार योजना अंतर्गत 02 बुनकरों को एक-एक लाख रूपये,शाल, श्रीफल और प्रशस्ति ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया गया।