आध्यात्मिक

आसमान की खगोलीय घटनाओं का नजारा काफी लोगों को देखना पसंद होता है. अब चाहे वह चन्द्र ग्रहण हो, सूर्य ग्रहण हो या फिर कोई... Read More
मेष राशि :- इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगे, सम्पत्ति विषयक समस्यायें अवश्य कम हेंगी। वृष राशि – स्त्री-वर्ग से भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति अवश्य होगी, सफलता के साधन... Read More
हाथों में मौजूद ,यह विष्णु रेखा करती है सौभाग्य यह इशारा, जानिये क्या कहता है आपकी हस्तरेखा जिन लोगों के हाथों में विष्णु रेखा मौजूद... Read More
14 नवंबर 2021 को देवउठनी एकादशी है, जिसे देवोत्थान एकादशी, देव प्रभोदिनी एकादशी, देवउठनी ग्यारस ( dev uthani gyaras 2021 date ) के नाम से... Read More
छठ पूजा का व्रत दिपावली के बाद आता है। यह व्रत बिहार, झारखंड और उत्तर भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं... Read More
मनुष्य का जीवन उसकी शारीरिक एवं प्राणिक सत्ता में नहीं, अपितु उसकी मानसिक एवं आध्यात्मिक सत्ता में भी आकांक्षाओं तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए... Read More
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को एक साथ कई पर्व मनाए जाते हैं। इस सूची में धनतेरस, यम पञ्चक प्रारम्भ, यम दीपम,... Read More
उज्जैन. मथुरा में ही यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में ब्रजवासियों को इन्द्र के प्रकोप से बचाने के लिये गोवर्धन पर्वत अपनी कनिष्ठ अंगुली... Read More
हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा या अन्न कूट का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पर्व... Read More
सूर्य को प्रत्यक्ष देव माना गया है और रोज उनके दर्शन करने का भी विधान है। हमेशा निरोग रहने और लंबी उम्र के लिए सूर्य देव की उपासना और व्रत किया जाता है। 12 सितंबर रविवार को भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की ही षष्ठी तिथि है। पंचांग के मुताबिक इस दिन को सूर्य षष्ठी या ललिता षष्ठी भी कहा जाता है। सूर्य षष्ठी व्रत पर भगवान सूर्य की पूजा होती है। पुराणों में भी इस व्रत का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि जो इस दिन के व्रत से भगवान सूर्य को प्रसन्न करता है उसके तेज में कई गुना वृद्धि होती है और वो निरोग होता है। इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार घर पर स्नान करके भी आप गंगा जी का स्मरण कर भगवान सूर्य देव की आराधना कर सकते हैं। भगवान सूर्य की बहन है षष्ठी रविवार को षष्ठी तिथि का संयोग बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य और उनकी बहन षष्ठी का व्रत करने वाले लोग सुख समृद्धि और संतान प्राप्ति का वरदान मांगते है तो साथ ही भगवान भास्कर के पुत्र यमराज से अकाल मृत्यु से बचाने की प्रार्थना भी करते है। ऐसा करने से सूर्य देवता का आशीर्वाद मिलता है। कैसे रखें सूर्य षष्ठी का व्रत व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर सूर्य देव को शुद्धता के साथ जल अर्पित करें। इसके साथ ही आपका व्रत शुरू हो जाता है। भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के अलावा धूप, दीप, कपूर, पुष्प आदि से उनका पूजन करना चाहिए। इस दिन स्नान के पश्चात सात प्रकार के फलों, चावल, तिल, दूर्वा, चंदन आदि को जल में मिलाकर उगते हुए भगवान सूर्य को जल देने का भी विधान पुराणों में उल्लेखित है। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सूर्य मंत्र का जाप 5 बार या 108 बार करना चाहिए। लाल रंग का है खास महत्व ग्रंथों में बताया गया है कि सूर्य देव को लाल रंग खासतौर से प्रिय है। इसलिए लाल चंदन और लाल फूल सूर्य को अर्पित करने और लाल कपड़े का दान करने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं। वहीं इस व्रत में डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है।... Read More

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