Home छत्तीसगढ़ कमला कॉलेज के भूगोल विभाग में अतिथि व्याख्यान का आयोजन

कमला कॉलेज के भूगोल विभाग में अतिथि व्याख्यान का आयोजन

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राजनांदगांव। विगत दिनों प्राचार्य डॉ. आलोक मिश्रा के आतिथ्य में भूगोल विभाग में अतिथि व्याख्यान का आयोजन मात्रात्मक क्रांति विषय पर किया गया। अतिथि वक्ता के रूप में डॉ. अनिल मिश्रा, सहायक प्राध्यापक भूगोल, शासकीय व्हीवायटी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, दुर्ग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के प्रारंभ में प्राचार्य डॉ. आलोक मिश्रा का स्वागत कु. कांति वर्मा एमए तृतीय सेमेस्टर भूगोल की छात्रा द्वारा किया गया। मुख्य वक्ता डॉ. अनिल मिश्रा का स्वागत कु. शोभानी वर्मा एमए प्रथम सेमेस्टर भूगोल द्वारा किया गया। प्राचार्य डॉ. आलोक मिश्रा द्वारा सभी छात्राओं को अतिथि व्याख्यान से लाभ लेने को कहा तथा इन्हें सेमेस्टर परीक्षा के लिए शुभकामना दी। विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी द्वारा अतिथि वक्ता का परिचय दिया गया।
अतिथि वक्ता डॉ. अनिल मिश्रा ने मात्रात्मक क्रांति विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् वर्णनात्मक भूगोल को अस्वीकार कर अमूर्त सिद्धांत तथा मॉडलों के निर्माण पर बल दिया जाने लगा और इस हेतु भूगोल में सांख्यिकीय तकनीकी का वृहद पैमाने पर उपयोग किया गया। भूगोल में मात्रात्मक क्रांति के फलस्वरूप वस्तुनिष्ठता तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण उभरकर आया। जिफ महोदय ने मात्रात्मक क्रांति को 4 अवस्थाओं में विभक्त किया। यद्यपि भूगोल में मात्रात्मक क्रांति का बहुत महत्व है और आधुनिक युग में इसके बिना भूगोल की वैज्ञानिकता ही खोज जायेगी, इसके बावजूद इस क्रांति ने भूगोल के कई तथ्यों का महत्व घटा दिया है। कई विद्वान जैसे स्पेट, बेरी, स्टांप इस क्रांति के विपक्ष में खड़े दिखाई दिये।
डॉ. निवेदिता ए. लाल ने बताया कि भूगोल में निदर्शन तकनीक माध्य, मध्यिका, बहुलक, मानक विचलन जैसी सांख्यिकी विधियों का प्रयोग किया जाने लगा। वर्तमान में हवाई फोटोग्राफी, कम्प्यूटर, सुदूर संवेदन तकनीक का प्रयोग वृहत् पैमाने पर किया जा रहा है। डॉ. जयसिंह साहू ने मात्रात्मक क्रांति की कमियों पर प्रकाश डाला। अतिथि व्याख्यान में बीए तृतीय भूगोल तथा एमए प्रथम व तृतीय सेमेस्टर भूगोल की छात्राएं उपस्थित रही। अंत में डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।