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ट्राफिक पुलिस चार पहिया व रसूखदारों को छोड़ भोले भाले ग्रामीणों का काट रही है केवल चालान

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तो ट्राफिक पुलिस चार पहिया व रसूखदारों को छोड़ भोले भाले ग्रामीणों का काट रही है केवल चालान
एचएम के घोषणा के विपरीत हो रहा है चालानी कार्यवाही
कोई कार्यवाही नही करने वाले आबकारी सहित कई विभागों को शासन को कर देना चाहिए बंद
भिलाई। व्ही व्ही आई पी जिला जिसमें मुख्यमंत्री, गृहमंत्री सहित अन्य विभागों के मंत्रियों के इस जिले में 70 से अधिक शासकीय विभाग है, लेकिन सारी समस्याओं का ठेका निपटान का कार्य दुर्ग पुलिस के जिम्मे में है। चाहे वह हुक्काबार में छापा मारना हो, या फिर स्पा सेंटरों में रेड मारने का ही क्यों ना मामला हो? मजेदार बात यह है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही अंग्रेजी व देशी शराब दुकान पीने वालों दिहाड़ी मजदूरों पर भी दुर्ग पुलिस उन्हें पकड़कर अपना ही पीठ थपथपा रही है। सरकारी शराब दुकानों में कोई भी बडे घराने का व्यक्ति या रसूखदार नही जाता है। इन दुकानों में अधिकतर सामान्य वर्ग के लोग या फिर देहाड़ी मजदूर ही अद्धी, पौव्वा या बोतल ले जाने आया करते हैं लेकिन दुर्ग पुलिस इन दिनों पियक्कड़ों पर ऐसे टूट पड रही है जैसे इन्होंने शराब नही पी कोई बड़ा अपराध कर डाला। लेकिन वहीं दूसरी ओर दुर्ग पुलिस का दूसरा चेहरा ये क्यों नही दिखता कि शहर के बडे बडे होटलो, मॉल व लक्जरी गाडिय़ों में खुलेआम देर रात तक मुर्ग मुसल्ल्लम व शराब का लुत्फ उठाने वाले ऐसे रईस जादों पर भी पुलिस कार्यवाही करने में अपना दम खम दिखाये। पुलिस सिर्फ निहत्थे व गरीबों पर ही अपना जोर दिखा रही है। लगभग यही स्थिति यातायात विभाग की भी दिख रही है। चौक चौराहों पर ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले भोले भाले किसान परिवार या फिर ग्रामीण क्षेत्रों से शहर आये मेडिकल की सेवाओं हेतु अस्पताल में मरीज को भर्ती कराने या दिखाने पहुंचने वाले गरीबों पर ही मोटर व्हीकल एक्टर के तहत लगातार चालानी कार्यवाही बदस्तूर जारी है। एक ओर जहां सडके खराब है, सडकों में भारी गड्डे है जिसके कारण लोग बुरी तरह घायल हो रहे है और मौत के धाट उतर रहे है। ऐसे में ट्राफिक पुलिस का ये चालानी कार्यवाही का ये चेहरा कहीं ना कही सरकार की छवि को धुमिल कर रहा है। एच एम ने चुनाव जीतते ही कहा था कि प्रदेश में चालानी कार्यवाही नही होगी लेकिन राजधानी के बाद सबसे अधिक चालानी कार्यवाही दुर्ग और भिलाई में ही दिखती है। जहां एक ओर छत्तीसगढिया मुख्यमंत्री व भूपेश बघेल व दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के क्षेत्र के ही अधिकांश मतदाता इसकी चपेट में आ रहे हैं। किसी भी रसूखदार दो पहिया व चार पहिया वाहनों पर कभी कोई कार्यवाही नही करते हैं। हद तो इतनी हो गई है कि चार पहिया वाहनों में काली फिल्म हुटर शूटर (सायरन) वाली गाडिय़ा शहर मे ंबेखौफ घूम रही है लेकिन दुर्ग पुलिस सिर्फ और सिर्फ सीधे साधे व भोले भाले लोगों को ही अपना निशाना बना रही है। ऐसे में खाद्य,आबकारी,खाद्य एवं औषधि स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम इत्यादि ऐसे विभाग है इनमें सरकार को या तो तालाबंदी कर देना चाहिए या पुलिस को ही सारी कार्यवाही का ठेका दे देना चाहिए। पुलिस अपने मूल काम अपराधियों पर नकेल कसने, संपत्ति संबंधी मामलों के निकाल साइबर ठगी, चिटफँट के निवेशकों का पैसा निकालने व उनके डायरेक्टरों की गिरफ्तार के अलावा बढते वाहन चोरी, घरों में चोरियां, मोबाइल चोरियों जैसे घटनाओं पर ध्यान ना देकर सिर्फ और सिर्फ हुक्का, स्पा और कबाड़ी पर ही अपना ध्यानाकर्षण कर रही है। इस मामले में एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने तत्कालिक पुलिस अधीक्षक को सोशल साईट पर आग्रह किया था कि साहब पुलिस अपना मूल काम करे। गड़बडी करने वाले स्थानों पर अन्य विभागों के अफसरों को भी मौका दे। लेकिन उसका असर इन दिनो बेअसर दिख रहा है। ऐसे में राज्य सरकार के मुखिया सहित अन्य मंत्रियों की छवि जनता के बीच खराब दिख रही है। जनता पुलिस की इस कार्यवाही की बलि चढते हुए दिख रहा है।