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कोंडागाँव ज़िले में एक और किसान की आत्महत्या के लिए प्रदेश सरकार की तुग़लक़ी सनकमिज़ाज़ी ही ज़िम्मेदार : भाजपा

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कोंडागाँव ज़िले में एक और किसान की आत्महत्या के लिए प्रदेश सरकार की तुग़लक़ी सनकमिज़ाज़ी ही ज़िम्मेदार : भाजपा

0 भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने प्रदेश सरकार को सख़्त लहजे में चेताया- किसानों को प्रताड़ित करने और उनकी हाय लेने से डरे

0 मृतकों को मानसिक रोगी और अवसादग्रस्त बताने में लगी प्रदेश सरकार ख़ुद विफलताओं के बोझ और तुग़लक़ी सनक के चलते डिप्रेशन में मानसिक संतुलन खो चुकी है

0 पिछले वर्ष भी रकबा को घटाया, और इस वर्ष प्रदेश सरकार की सनक के चलते गिरदावरी के नाम पर किसानों का रकबा 25 फ़ीसदी तक घटा दिया गया है

0 सरकार न्यायसंगत रवैया अपनाकर संबंधित अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई करे, जिनकी त्रुटियों के चलते किसान आत्महत्या तक करने पर मज़बूर हुए हैं : साय

0 पूरा धान ख़रीदने के नाम पर सरकारी दावे कोरी लफ़्फ़ाजी, किसानों को न तो टोकन मिल रहे, न ही धान समय पर बिक रहा और अब कम रकबे वाले किसानों को अपनी बारी के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ रहा

0 मुख्यमंत्री बघेल को पंजाब के किसानों की फ़िक्र में दुबला होने के बजाय छत्तीसगढ़ के किसानों की चिंता कर लेने की नसीहत भी दी साय ने

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने बस्तर संभाग के कोंडागाँव ज़िलें में एक और किसान द्वारा की गई आत्महत्या के लिए प्रदेश सरकार की तुग़लक़ी सनकमिज़ाज़ी को ज़िम्मेदार ठहराते हुए तीखा हमला बोला और कहा है कि प्रदेश सरकार की बदनीयती, कुनीतियों और नेतृत्वहीनता के चलते अब लोग इतने हताश व संत्रस्त हो गए हैं कि वे अपनी जीवन लीला ख़त्म करने के लिए विवश हो रहे हैं, लेकिन प्रदेश सरकार और कांग्रेस झूठ-पर-झूठ परोसने बाज नहीं आ रही है। श्री साय ने प्रदेश सरकार को सख़्त लहजे में चेताया है कि वह किसानों को प्रताड़ित करने और उनकी हाय लेने से डरे।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने कोंडागाँव ज़िले के बड़े राजपुर तहसील में ग्राम मारंगपुरी निवासी 40 वर्षीय आदिवासी किसान धनीराम द्वारा गुरुवार को आत्महत्या पर गहन दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटना प्रदेश के लिए कलंक है लेकिन प्रदेश सरकार को अपने कामकाज के तौर-तरीक़ों पर अब भी शर्म महसूस नहीं हो रही है। श्री साय ने किसान धनीराम को भी डिप्रेशन में बताए जाने पर तल्ख़ होकर कहा कि प्रदेश सरकार और उसकी मशीनरी आत्महत्या के हर मामलों में मृतकों को मानसिक रोगी और अवसादग्रस्त बताकर अपनी चमड़ी बचाने का शर्मनाक आचरण करती है, जबकि सच्चाई तो यही प्रतीत हो रही है कि अपनी विफलताओं के बोझ और तुग़लक़ी सनक के चलते प्रदेश सरकार ख़ुद डिप्रेशन में है और अपना मानसिक संतुलन खो चुकी है। श्री साय ने सवाल किया कि प्रदेश सरकार के चापलूस विशेषज्ञ नौकरशाह आत्महत्या या इसका प्रयास करने की हर घटना में पीड़ित युवा बेरोज़गारों, ग़रीब मज़दूरों, आदिवासियों, किसानों को मानसिक रोगी आख़िर किस आधार पर बता रहे हैं? क्या वे राजनीतिक दबाव में प्रदेश सरकार के नाकारापन को ढँकने का काम कर रहे हैं या फिर अपनी लापरवाहियों पर पर्दा डाल रहे हैं? श्री साय ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपने दो साल के कार्यकाल में आदिवासियों और किसानों के नाम पर सियासी ढोंग तो ख़ूब किए, लेकिन हक़ीक़त यह सामने आ चुकी है कि इस संवेदनशून्य सरकार को न तो आदिवासियों की कोई फ़िक्र है और न ही वह किसानों की तक़लीफ़ों से कोई वास्ता रखती है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने कहा कि किसानों का पूरा धान ख़रीदने से बचने के तमाम षड्यंत्रों को आजमा रही प्रदेश सरकार ने पिछले वर्ष भी किसानों को ख़ून के आँसू रोने के लिए मज़बूर किया था, लेकिन पिछले एक साल में किसानों के साथ इस सरकार ने जिस तरह छल-कपट किया है, उसके चलते हताश-निराश किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला शुरू हो गया है। श्री साय ने कहा कि पिछले वर्ष भी किसानों के रकबे को घटाया गया था लेकिन इस वर्ष तो प्रदेश सरकार की सनक के चलते गिरदावरी के नाम पर किसानों का रकबा 25 फ़ीसदी तक घटा दिया गया है जिसके कारण किसान अपनी उपज के बिकने को लेकर संशय में हैं और बैंकों व साहूकारों के कर्ज़ के दबाव में आकर वे अपनी जान तक दाँव पर लगा रहे हैं। श्री साय ने कहा कि संबंधित अधिकारी अब तरह-तरह की बहानेबाजी तथा तकनीकी त्रुटि और गिरदावरी की जाँच की बात करके अपनी चमड़ी बचाने में लगे हैं, लेकिन सवाल यह है कि तमाम अत्याधुनिक तकनीकी प्रणाली के बावज़ूद ये त्रुटियाँ कैसे हो रही हैं? कहीं यह प्रदेश सरकार के षड्यंत्रों पर पर्दा डालने की क़वायद तो नहीं है? श्री साय ने मांग की है कि प्रदेश सरकार या तो किसानों के मामले में न्यायसंगत रवैया अपनाकर संबंधित अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई करे, जिनकी त्रुटियों के चलते प्रदेश के किसान आत्महत्या तक करने पर मज़बूर हुए हैं या फिर किसानों को अनावश्यक परेशानियों से बचाकर उनकी सीधे-सीधे ईमानदारी से उनकी पूरी उपज ख़रीदने के पुख़्ता इंतज़ाम करे।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने कहा कि किसानों का पूरा धान ख़रीदने के नाम पर सरकारी दावे कोरी लफ़्फ़ाजी साबित हो रहे हैं, क्योंकि धान ख़रीदी शुरू हो चुकने के बाद भी किसानों को न तो टोकन मुहैया हो पा रहा है, न ही उनका धान समय पर बिक रहा है और अब कम रकबे वाले किसानों को भी अपनी बारी के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ रहा है क्योंकि अधिकांश ख़रीदी केंद्रों में वर्णमाला के आधार पर टोकन देकर ख़रीदी की जा रही है जबकि शासन का आदेश है कि पहले छोटे किसानों का धान ख़रीदा जाए, लेकिन ज़मीनी सच्चाई पर सरकार की नज़र ही नहीं है। श्री साय ने कहा कि सरकार की लापरवाही के चलते गिरदावरी में रकबा घटने के बाद कई स्थानों पर मछली पालन के लिए खोदे गए तालाबों को खेत बताकर धान बेचे जाने की शिकायत सामने आई है। इस फर्जीवाड़े के लिए भी सरकार के गिरदावरी संबंधी आदेश को ज़िम्मेदार बताते हुए श्री साय ने कहा कि प्रदेशभर के किसान अपने रकबों पर चली सरकारी कैंची से हलाकान हैं। एक तरफ प्रदेश के किसान रोज़ तनाव और संशय में जी रहे हैं, उनके प्रति संवेदना रखने के बजाय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिल्ली में आंदोलित किसानों के मुद्दे पर बिन मांगी राय व्यक्त कर रहे हैं और उन किसानों की चिंता में दुबले होकर केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ मिथ्या प्रलाप में सक्रिय हो रहे हैं, जिन किसानों के अपने राज्य पंजाब की सरकार ने केंद्र के कृषि क़ानूनों को सिरे से अमान्य कर दिया है। श्री साय ने मुख्यमंत्री बघेल को पहले छत्तीसगढ़ के किसानों की चिंता कर लेने की नसीहत दी है।