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Yuvraj Singh Story: योगराज सिंह ने ‘युवराज’ कैसे बनाया, जानें पूरी प्रेरणादायक कहानी

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युवराज सिंह के किस्से और कहानियों के बारे में भला कौन नहीं जानता. चंडीगढ़ का युवी से टीम इंडिया के सिक्सर किंग बनने तक का सफर आसान थोड़े ही है. ये वो सफर है जो 13 साल 11 महीने की उम्र से शुरू हो गया था. स्केटिंग का नेशनल चैंपियन क्रिकेट का सिक्सर किंग बनने की ओर अग्रसर था. लेकिन, ये शिफ्ट हुआ कैसे? उसकी दो वजहें थीं. एक खुद युवराज के पिता योगराज सिंह और उनकी जिद. और दूसरा नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी ना. दरअसल, एक बार योगराज सिंह बेटे युवराज को लेकर सिद्धू के पास गए. लेकिन, जब उन्होंने युवी को बैटिंग करते देखा तो हाथ जोड़ लिए और कहा कि ये क्रिकेट नहीं खेल सकता.

युवराज ने खुद बताया था सिद्धू वाला किस्सा
सिद्धू की उसी ना ने पिता योगराज सिंह की जिद को और हवा देने का काम किया. द कपिल शर्मा शो में एक बार युवराज सिंह से जुड़े इस किस्से का जिक्र हुआ था. शो में युवराज ने खुद कहा था कि जब वह छोटे थे तो उनके पिता उन्हें नवजोत सिंह सिद्धू के पास लेकर गए थे और कहा था कि तू ही इसे प्लेयर बना दे. उसके बाद जब शेरी पा ने मुझे बैटिंग करते देखा तो पापा से कहा कि इसे कोई क्रिकेटर नहीं बना सकता.

पिता ने छुड़ाए रोलर स्कैटर, कहा- बेटा क्रिकेट खेलेगा
नवजोत सिंह सिद्धू ने शो में आगे बताया कि अगले दिन योगराज सिंह ने मुझे फोन करके कहा कि मैंने इसे रोलर स्कैटर छुड़वा दिए हैं. और, अब ये क्रिकेटर ही बनेगा. क्रिकेट ही खेलेगा. सिद्धू ने कहा कि मैं तब इंडिया खेलता था और उस दौरान मेरा युवी के घर पर आना-जाना लगा रहता था. एक बार जब मैं उसके घर रात के करीब 9 बजे गया तो क्या देखता हूं कि लाइटें जली हुई हैं और उसमें युवराज सिंह को बाउंसर पर बाउंसर पड़ रहे हैं. कभी टेनिस बॉल तो कभी लेदर बॉल से. युवराज ने हेलमेंट भी नहीं पहन रखी.

सिद्धू ने बताया कि उन्होंने योगराज से कहा कि तुसी मुंडा मारना है क्या? लेकिन, योगराज सिंह की अपने बेटे के साथ की वही मेहनत थी जिसने भारतीय क्रिकेट को ही नहीं बल्कि वर्ल्ड क्रिकेट को युवराज सिंह जैसा नगीना दिया.

स्केटिंग का चैैंपियन बन गया क्रिकेट का सुपरस्टार
युवराज सिंह को उनके पिता की जिद ने क्रिकेट का सुपरस्टार तो बना दिया लेकिन हकीकत में उन्हें बचपन से इस खेल का कोई शौक नहीं था. उन्हें या तो टेनिस या रोलर स्केटिंग पसंद था. वो नेशनल अंडर 14 रोलर स्केटिंग चैंपियनशिप में मेडल भी जीत चुके थे. लेकिन, उनके पिता को उस मेडल को जीतने की खुशी भी नहीं हुई थी, बल्कि उन्होंने तो युवी के उस मेडल को फेंक दिया था. क्योंकि वो चाहते थे अपने बेटे को क्रिकेटर बनाना. अपनी इस जिद को पूरा करने के लिए जितनी मेहनत उन्होंने अपने बेटे से कराई, उतनी ही खुद भी की.