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सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: दिव्यांग कोटे में दृष्टिबाधित व्यक्तियों को भी करें शामिल

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि दृष्टिबाधित व्यक्तियों के साथ सहानुभूति और करुणा के साथ पेश आने की जरूरत है। उसने कुछ राज्यों में न्यायिक सेवाओं में दृष्टिबाधित व्यक्तियों को आरक्षण न दिए जाने के मामले में स्वत: संज्ञान सहित अन्य याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।

न्यायमूर्ति जेबी पार्डीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि छह याचिकाओं पर फैसला उस अहम दिन सुरक्षित रखा गया, जब विश्व अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मना रहा था। कहा कि दृष्टिबाधित व्यक्तियों को अपना कर्तव्य निभाने में सक्षम बनाने के लिए सहानुभूति और करुणा की आवश्यकता है। उनके प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया नहीं होना चाहिए।
न्यायमित्र के रूप में पीठ की सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने कहा कि अंधेपन और कम दृष्टि जैसी दृष्टि संबंधी दिव्यांगता वाले व्यक्तियों को दिव्यांग व्यक्तियों के लिए निर्धारित कोटे के दायरे से बाहर नहीं रखा जा सकता।

दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम की धारा-34 का हवाला देते हुए अग्रवाल ने कहा कि प्रत्येक समुचित सरकार अपने प्रत्येक प्रतिष्ठान में पदों के प्रत्येक समूह में कैडर क्षमता की कुल रिक्तियों की कम से कम चार प्रतिशत संख्या बेंचमार्क दिव्यांगता वाले व्यक्तियों से भरेगी, जिनमें से एक-एक प्रतिशत खंड (ए), (बी) और (सी) के अंतर्गत बेंचमार्क दिव्यांगता वाले व्यक्तियों के लिए आरक्षित होगा और एक प्रतिशत खंड (डी) और (ई) के अंतर्गत बेंचमार्क दिव्यांगता वाले व्यक्तियों के लिए आरक्षित होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ‘जैकोबाइट सीरियन चर्च’ को केरल में छह चर्जों का प्रशासन मलंकारा आर्थोडाक्स सीरियन चर्च गुट को सौंपने का निर्देश दिया।जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि जैकोबाइट सीरियन चर्च के सदस्यों पर 2017 के फैसले की ‘जानबूझकर अवज्ञा’ करने का आरोप है। यह फैसला दो गुटों के बीच विवाद पर आया था, जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि मलंकारा चर्च के अंतर्गत 1,100 इलाके और उनके चर्चों को 1934 की मलंकारा चर्च गाइडलाइंस के अनुसार आर्थोडाक्स गुट द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए।

शीर्ष कोर्ट ने एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश
जैकोबाइट चर्च के अनुयायियों पर केरल हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों के आदेशों के बावजूद आर्थोडाक्स गुट की पहुंच को रोकने का आरोप लगाया गया है। शीर्ष कोर्ट ने जैकोबाइट गुट को एर्नाकुलम और पलक्कड जिलों में तीन-तीन गिरजाघरों का प्रशासन मलंकारा गुट को सौंपने और इस संबंध में एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। पीठ ने चेतावनी दी, ‘ऐसा न करने पर अवमानना कार्यवाही शुरू की जाएगी।’