एचडीएफसी बैंक ने अपनी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट्स (MCLR) को दो छोटी अवधि के लिए 5 बेसिस प्वाइंट (bps) तक बढ़ा दिया है. बदलाव के बाद HDFC बैंक की MCLR ब्याज दर 9.15% से 9.50% के बीच हो गई हैं. नई दर को 7 नवंबर, 2024 से लागू कर दिया गया है. बैंक ने एक महीने के लिए 5 बेसिस प्वाइंट और तीन साल की अवधि के लिए 3 बेसिस प्वाइंट तक ब्याज दर में इजाफा किया है.
एक महीने वाला एमसीएलआर 9.15% से बढ़कर 9.20% हुआ
बैंक ने इन दो अवधियों के अलावा किसी भी लोन दर में बदलाव नहीं किया है. ओवरनाइट एमसीएलआर 9.10% से बढ़कर 9.15% हो गया. इसी तरह एक महीने वाला एमसीएलआर 9.15% से बढ़कर 9.20% हो गया. तीन महीने की अवधि पर बैंक 9.30% की पेशकश करता है. छह महीने की अवधि वाला MCLR 9.45% है. एक साल की अवधि वाला MCLR 9.45% है, जो कि ग्राहकों के लोन से जुड़ा हुआ है वो 9.45% है. दो साल की अवधि के लिए MCLR 9.45% है और तीन साल के लिए यह 9.50% है.
बैंक का नया बेस रेट भी 9.45% हो गया
HDFC बैंक ने इससे पहले 9 सितंबर 2024 से अपनी ब्याज दर में बदलाव किया है. अब यदि आप इस बैंक से लोन लेते हैं, तो आपको 17.95% सालाना की दर से ब्याज देना होगा. साथ ही, बैंक का नया बेस रेट भी 9.45% हो गया है. ये सभी दरें रेपो 6.50% के आधार पर हैं. स्पेशल होम लोन की ब्याज दर रेपो रेट के अलावा 2.25% से 3.15% तक यानी यह 8.75% से 9.65% तक है. इसके अलावा सैलरीड और सेल्फ एम्पलायड के लिए स्टैंडर्ड होम लोन का रेट रेपो रेट के अलावा 2.90% से 3.45% अतिरिक्त है. यानी यह बढ़कर 9.40% से 9.95% हो जाता है.
एचडीएफसी के होम लोन की ब्याज दर
HDFC बैंक की वेबसाइट के अनुसार, ‘उपरोक्त होम लोन ब्याज दरें / ईएमआई एचडीएफसी बैंक की एडजस्टेबल रेट होम लोन स्कीम (फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट) के तहत दिए जाने वाले लोन पर लागू होती हैं और ये दरें लोन जारी होने के समय बदल सकती हैं. उपरोक्त होम लोन ब्याज दरें एचडीएफसी बैंक की रेपो रेट से जुड़ी होती हैं और लोन की पूरी अवधि के दौरान बदलती रहती हैं.
एमसीएलआर
MCLR का यूज बैंकों की तरफ से दिये जाने वाले लोन की ब्याज दर को पारदर्शी और स्टैंडर्ड बनाने के लिए किया जाता है. MCLR बैंकों के लिए फंड की मौजूदा लागत पर बेस्ड होता है, जिससे यह नीतिगत दर में बदलाव के प्रति ज्यादा संवेदनशील होता है. यह सुनिश्चित करता है कि देश की मौद्रिक नीति प्रभावी ढंग से लागू हो. MCLR उधार लेने वालों को यह सुनिश्चित करके समर्थन करता है कि उन्हें दर में कमी का लाभ मिले.