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शिक्षा विभाग में सक्रिय है एक गिरोह : क्रिष्टोफर पॉल

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राजनांदगांव। अनुकंपा नियुक्ति घोटाला, पदोन्नति घोटाला, ट्रांसफर-पोस्टिंग घोटाला, बर्तन खरीदी घोटाला, फर्नीचर खरीदी घोटाला, आरटीई प्रतिपूर्ति राशि घोटाला, अनुमति मान्यता घोटाला, संलग्नीकरण घोटाला, प्रतिनियुक्ति घोटाला और ना जाने कई प्रकार के घोटालों से शिक्षा विभाग विगत कई वर्षो से घिरा हुआ है।
रियल बोर्ड एण्ड पेपर मिल सिलयारी रायपुर में पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा प्रकाशित पुस्तकें बड़ी मात्रा में पाई गयी थी, जिसको लेकर राज्य सरकार ने एक सात सदस्यी उच्च स्तरीय टीम गठित कर जांच कराया जा रहा है, जब जांच अधिकारियों ने पेपर मिल मालिक से पूछताछ जारी किया जो कुछ कबाड़ियों की जानकारी प्राप्त हुई जिनके जरिए किताबें पेपर मिल तक पंहुची थी, जब जांच अधिकारियों ने कबाड़ियों से पूछताछ की तो पता चला कि कबाड़ियों ने किताबें राजनांदगांव स्टेट स्कूल परिसर में छग पाठ्य पुस्तक निगम के गोदाम से अगस्त माह में खरीदा था। अब जांच अधिकारियों के द्वारा डिपो प्रभारी श्रीमती नीलीमा बड़गे से पूछताछ कर रही है, तो मामले का खुलासा हो रहा है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि उनकी शिकायत पर पूर्व में भी फरवरी 2021 में धनलक्ष्मी पेपर मिल, डोंगरगांव से किताबें जप्त किया गया था, उस समय तत्कालीन डिपो प्रभारी यशोधरा सरोते को निलंबित किया गया था, लेकिन कबाड़ियों को किताबें बेचने वाला गिरोह आज भी सक्रिय है।
श्री पॉल ने बताया कि यह गिरोह सबसे पहले कबाड़ियों को किताबों को परिवहन का ठेका दिलाया जाता है, फिर उन कबाड़ियों के जरिए किताबें रायपुर से राजनांदगांव डिपो तक पंहुची है, फिर किताबों को डिपो से संकुल तक पहुंचाया जाता है, फिर संकुल समन्वयकों के जरिए सरकारी स्कूलों में बांटी जाती है, जो किताबें अतिरिक्त रह जाती है, उसे गोदाम में डंप कराया जाता है, फिर उन किताबों को उन्ही कबाड़ियों को बेचा जाता है, जिन्हें परिवहन का ठेका दिलाया गया है। जिसके पश्चात कबाड़ी उन किताबों को पेपर मिल में दुगने दामों में बेचते है।
श्री पॉल का कहना है कि, यह गिरोह प्राइवेट स्कूलों के संपर्क में भी रहता है। प्राइवेट स्कूलों से अधिक दर्ज संख्या बताकर किताबें डिपो में मंगाया जाता है, फिर डिपो से किताबें गोदाम में डंप कराया जाता है, फिर उन किताबों को कबाड़ियों को बेचा जाता है।
अब इस मामले की लिखित शिकायत जांच अधिकारीयों के अलावा संभागीय आयुक्त और संयुक्त संचालक से की गई है और दोषियों पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग की गई है।