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पुलिस विभाग के मुखिया बार-बार चेता रहे हैं, सुधार जाओ, फिर भी कम नहीं हो रही है लापरवाही

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राजनांदगांव। सूबे के मुखिया भले ही पुलिस महकमे को चुस्त-दुरूस्त रहने की लगातार हिदायत दे रहे है, लेकिन राजनांदगांव जिले में पुलिस की कार्यप्रणाली ठीक इसके उलट चलती नजर आ रही है। जिला पुलिस प्रशासन जांच के नाम पर फरियादियों के आवेदन को हफ्तों तक लटकाये रखने का काम कर रही है। पुलिस की सुस्ती का आलम यह है, कि एक व्यक्ति जो कि लंबे समय तक अधिकारियों के संरक्षण में एक विभाग को अपनी बपौती बनाकर चलाता रहा था, उसके खिलाफ एक नहीं दो नहीं, तीन-तीन आवेदन दिये जाने के बाद भी पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं करना पुलिस महकमें को संदेह के घेरे में खड़ा करता है और यह प्रश्न खड़ा होता है, कि पुलिस क्या ऐसे व्यक्ति को संरक्षण दे रही है।
बात दरअसल आबकारी विभाग की है, जहां पिछले कई सालों से अमित मिश्रा नाम का बाहरी व्यक्ति विभागीय अधिकारियों के संरक्षण में बड़ा खेल करता आ रहा था। अमित मिश्रा का प्रभाव ऐसा था, कि वह विभाग के अधीनस्थ अधिकारियों पर नियंत्रण करने लग गया था। मदिरा दुकानों पर पूरी तरह उसका कब्जा था। विभागीय अधिकारियों से दुर्व्यवहार, महिला अधिकारियों से बदसलुकी, दुकानों में कोचिया, ओवर रेट कराना, वसूली करना, दुकान के स्टॉफ को जब चाहे तब नौकरी से निकालना एवं प्रताड़ित करना ये सब उसके कारनामें है, उसके कारनामे यही खत्म नहीं होते, क्योंकि वह अपने आप को खतरों का खिलाड़ी से कम नहीं समझता। भले ही लोगों के जान-माल का नुकसान हो जाये। अमित मिश्रा जन्मदिन मदिरा दुकान में मनाता है और दुकान स्टॉफ के मना करने के बावजूद दुकान के अंदर केक काटते हुए फुलझड़ी फ्यूमा जैसा ज्वलनशील पदार्थ जलाता है, इसका फोटो एवं समाचार काफी चर्चा में था। अमित मिश्रा इतना आगे बढ़ चुका था कि यह भी नहीं सोचा कि फुलझड़ी पूयमा जैसे विस्फोटक पदार्थ को दुकान के अंदर जलाने से दुकान में रखी मदिरा, जिसमें स्पि्रट होता है, आग पकड़ सकती है, एवं शासकीय संपत्ति एवं लोगों की जान को भारी खतरा हो सकता था, उसके रहते किसी को उसका विरोध करने की हिम्मत नहीं होती थी, क्योंकि उसका जो विरोध करता था उसे वह नौकरी से निकाल देता था। वह विभाग के लोगों को ट्रांसफर करा देने की धमकी देता था। अब जबकि अमित मिश्रा को विभाग ने बाहर का रास्ता दिखा, दिया है तो वह निम्न स्तर के पैतरों का इस्तेमाल कर विभाग एवं उनके अधिकारियों पर अनर्गल आरोप लगाकर विभाग को बदनाम करने की साजिश कर रहा है, उसे बाहर का रास्ता दिखाने से उसकी लाखों की वसूली बंद हो गई है एवं उसके दम पर बहुत सारे लोगों का हुक्का-पानी बंद हो गया है, उसकी हरकत पर लंबे समय से सब मौन थे यह स्पष्ट प्रमाण है कि किस तरह अपने अवैध धंधे में सबको हिस्सा देकर अमित मिश्रा ने सबको मौन रखा था। आज जब अमित मिश्रा के खिलाफ शिकायतों की झड़ी लग गई है तब भी उसके पुराने साथी मौन है और उसका विरोध नहीं कर रहे है।
बात पुलिस विभाग की करें तो यह आश्चर्यजनक है कि जिस देश की राष्ट्रपति महिला है एवं आदिवासी समुदाय से आती है, जिस राज्य के मुखिया आदिवासी समुदाय से आते है तथापि मदिरा दुकानों के स्टॉफ को जातिसूचक शब्दों से अपमानित करने और अपशब्द कहने वाले, महिलाओं की गरिमा और सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले अमित मिश्रा के खिलाफ लिखित शिकायत देने के बावजूद न तो अब तक उसके विरूद्ध अपराध दर्ज किया गया है, न ही उसे गिरफ्तार किया गया है। दुकान के आसपास छोटे-मोटे गरीब लोगों को तो पुलिस अपना टारगेट पूरा करने के नाम पर रोज पकड़ती है, लेकिन एक माफिया जो कि दुकान के अंदर ज्वलनशील विस्फोटक पदार्थ जला कर सबकी जान को खतरे में डाल देता है उसके खिलाफ कोई कर्यवाही नहीं करती। अमित मिश्रा के खिलाफ पुलिस प्रशासन को कठोर कार्यवाही कर अपराध दर्ज कर तत्काल उसे गिरफ्तार करना चाहिये, जिससे कि आदिवासियों एवं महिलाओं के साथ न्याय हो सके एवं अमित मिश्रा को उसके अपराधिक कृत्यों की सजा मिल सके।