नई दिल्ली, बीते दो दशकों में तकनीक के क्षेत्र में भारत ने नए प्रतिमान स्थापित किए हैं। तकनीक को अपनाने के मामले में देखें तो इसे कुछ आंकड़ों से समझा जा सकता है। इंटरनेट इन इंडिया रिपोर्ट 2022 के अनुसार 76 करोड़ लोग इस समय एक्टिवली इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर 2023 में कुल 1,414 करोड़ ट्रांजेक्शन के जरिए यूजर्स ने 17.16 लाख करोड़ रुपये एक दूसरे को ट्रांसफर किए हैं। यही नहीं भारत में 1.2 बिलियन लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपनाने में भारतीयों ने जैसी तत्परता और योग्यता अपनाई वैसा अन्यत्र नहीं दिखा। इस बात को बड़ी टेक कंपनियों ने स्वीकारा है। 2023 में एआई की दस्तक ने टेक्नोलॉजी और आईटी सेक्टर में बड़ी हलचल पैदा कर दी थी तो 2024 में एआई के विविध आयाम, कंपनियों की उन्हें अपनाने को लेकर क्षमता, एआई, डीपफेक और साइबर सिक्योरिटी से जुड़ी चुनौतियां चर्चा में रहेंगी।
टैगलैब्स के फाउंडर हरिओम सेठ कहते हैं कि 2023 में इंडस्ट्री में हमने मशीन लर्निंग और एआई के तेजी से बढ़ते इस्तेमाल को देखा। इसने न केवल कंपनियों के कार्य करने के तरीके को बदल दिया, बल्कि यूजर एक्सपीरिएंस को भी एक नया आयाम दिया है। 2024 में इसका अधिक व्यापक रूप देखने को मिलेगा। आने वाले समय में एआई और एमएल का मेल नए अवसरों को बढ़ाएगा। विशेष रूप से स्वास्थ्य, वित्त और विनिर्माण के क्षेत्र में इससे तमाम मौके बनेंगे क्योंकि कंपनियां इनोवेशन के साथ-साथ लाभ के लिए डाटा आधारित निष्कर्षों का इस्तेमाल अपने बिजनेस की स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए करेंगी।
एआई ने हमारे काम करने के तरीके को पूरी तरह से बदला है। एआई तकनीक आम तौर पर मानव बुद्धि से जुड़े कार्य कर सकती है, जैसे- तर्क, सीखना, समस्या-समाधान और धारणा। यह पहले से ही हमारे जीवन जीने के तरीके को बदल रहा है; सेल्फ-ड्राइविंग कारों से लेकर स्मार्ट स्पीकर तक, एआई हर जगह है। एआई मूलत: हमारे जीवन जीने और काम करने के सिद्धांत का ही अनुसरण करता है। उदाहरण के तौर पर कुछ बुनियादी बातें जैसे- हमारा दिमाग, हमारे आस-पास के परिवेश, हमारी शिक्षा, हमारे सोचने-समझने के तरीके, हमारे जीवन में रचे-बसे संस्कार और मान्यताएं, हमारे पूर्वाग्रह तय करते हैं। कमोबेश ऐसा ही मामला एआई के साथ हो सकता है।
एआई के आगमन के साथ अवसर है तो कई चुनौतियां भी पैर पसारे खड़ी हैं। मैकेफी के चीफ टेक्नोलॉजी अधिकारी स्टीव ग्रोबमैन कहते हैं कि एआई-संचालित युग साइबर खतरों के एक नए दौर की शुरुआत करता है। एआई की वजह से स्कैम को पकड़ना और समझना मुश्किल होगा। फ़िशिंग ईमेल ऐसे हो जाएंगे कि उनमें और वास्तविक मेल में अंतर करना बेहद मुश्किल हो जाएगा। इसका खतरनाक प्रभाव हमारे बच्चों पर पड़ेगा। ऐसे में आने वाले दौर में लोगों को इसके लिए जागरूक करना सबसे महत्वपूर्ण होगा।
वन मिलियन फॉर बिलियन के फाउंडर मानव सुबोध कहते हैं कि 2023 में एआई ने पढ़ाने और स्किल के सिस्टम में कई बदलाव लाए हैं। एआई हर जगह मौजूद है। ऐसे में स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी में उसके इस्तेमाल और तरीकों पर जोर देना होगा। कुछ कदम सही दिशा में उठाए गए हैं। सीबीएसई ने पहले ही ग्रेड 9-12 के लिए एआई को एक विषय के रूप में और ग्रेड 6-8 के लिए एक कौशल विषय के रूप में शामिल किया है। ये अच्छा परिवर्तन है, हालांकि वांछित परिणाम तब तक प्राप्त नहीं किए जा सकते जब तक हम एआई को अपनी कक्षाओं में एकीकृत नहीं करते और शिक्षकों को इसके अनुसार प्रशिक्षित नहीं करते। 2024 में हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना होना चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों, छात्रों और बच्चों को मेट्रो शहरों की तरह प्रौद्योगिकी तक समान पहुंच मिले।