रायपुर । छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारियों ने भी विधानसभा चुनाव में भूपेश सरकार को नकार दिया है। कर्मचारियों के डाक मतपत्र यही बता रहे हैं कि उनके ज्यादातर वोट भाजपा को गए हैं। कर्मचारी बकाया एरियर्स, पदोन्नति नहीं हो पाने और केंद्र के समान महंगाई भत्ता नहीं मिलने से राज्य सरकार से नाराज थे।
राज्य में कुल सात लाख अनियमित व चार लाख नियमित कर्मचारी हैं। अनियमित कर्मचारियों में इस बात का रोष था कि कांग्रेस ने 2018 के घोषणा-पत्र में संविदा व अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण का वादा किया था, लेकिन पांच साल में भी यह वादा पूरा नहीं किया गया। वहीं चार लाख नियमित कर्मचारी भी विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार से नाराज थे।
इन विषयों पर नाराज हुए कर्मचारी
संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण नहीं होना।
केंद्र के समान डीए मिलने में देरी।
कार्यरत कर्मचारियों की छटनी व आउट सोर्सिंग।
सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति।
नई सरकार से मांग पूरी होने का उम्मीद
छत्तीसगढ़ अनियमित कर्मचारी मोर्चा के संयोजक गोपाल साहू ने कहा कि 100 से अधिक अनियमित कर्मचारी संगठन कांग्रेस सरकार से नाराज थे। नियमितीकरण का वादा कर वादाखिलाफी की गई। छत्तीसगढ़ विद्यालय शिक्षक कर्मचारी संघ ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने महंगाई भत्ता, एरियर्स रोक दिया। वहीं, अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को एरियर्स और डीए देने में कोई देरी नहीं की गई। संघ के पदाधिकारियों को अब नई सरकार से उनकी मांगे पूरी होने की उम्मीद है। मांगों को पूरा करने की उम्मीदें बंधी हुई है।
डाक मतपत्र खुलते ही भाजपा आगे
तीन दिसंबर को मतगणना के दौरान सबसे पहले डाक मतपत्रों की गणना की गई। जिसमें भाजपा प्रत्याशियों ने बढ़त बनाई रखी। सभी श्रेणियों में कुल डाक मत पत्रों की संख्या एक लाख तीन हजार 753 रही।