बिलासपुर । छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के द्वारा छत्तीसगढ उच्च न्यायालय के सहयोग से आज छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर के ऑडिटोरियम में समस्त जिलों के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष एवं सचिव, फैमिली कोर्ट के न्यायाधीश, स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष, कार्मिशियल कोर्ट के न्यायाधीश, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एवं नामांकित न्यायिक अधिकारीगण हेतु वर्ष 2023 में अब तक आयोजित नेशनल लोक अदालतों में न्यायिक अधिकारियों के द्वारा किये गये उत्कृष्ट प्रदर्शन एवं उनके कार्यो के मूल्यांकन हेतु राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
उपरोक्त कार्यक्रम के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सभी उपस्थित न्यायिक अधिकारियों को राष्ट्रीय लोक अदालत में प्रदर्शन एवं मूल्यांकन के संबंध में आयोजित।
इस प्रथम राज्य स्तरीय बैठक की बधाई देते हुए कहा कि लोक अदालत की अवधारणा गांधी जी के आदर्शो पर आधारित है, एवं भारतीय सविधान के अनुच्छेद 39ए को पूरा करता है। लोक अदालत भारतीय इतिहास में वैकल्पिक विवाद समाधान के माध्यम के रूप में ग्रामीण स्तर पर पूर्व से पंचायत कार्य प्रणाली में आपसी बातचीत एवं मध्यस्थता के रूप में प्रचलित रहा है, और इस कार्य को आज हमारे न्यायिक अधिकारीगण बहुत अच्छे से कर रहे हैं। उन्होंने नेशनल लोक अदालत के प्रति पीठासीन अधिकारियों की प्रतिबद्धता की सराहना करते हुए आगामी नेशनल लोक अदालत 09-12-2023 को और अधिक प्रकरणों का निराकरण करने हेतु प्रेरित किया, ताकि लोक अदालत का लाभ अधिक से अधिक लोगों को प्राप्त हो सके।
कार्यक्रम का स्वागत उदबोधन करते हुए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी ने कहा कि-न्यायाधीश स्वयं अपने कार्यो का मूल्यांकन करें, न्यायालयों में अत्यधिक संख्या में राजीनामा योग्य प्रकरण लंबित है, जिसे लोक अदालत के माध्यम से निराकृत करने में न्यायाधीशगण का प्रयास सराहनीय रहा है। न्यायिक अधिकारी को अपने कार्य से स्वयं संतुष्ट होना आवश्यक है।
लंबित मामलों के साथ साथ लगभग 10 लाख प्री-लिटिगेशन के प्रकरणों को भी लोक अदालत के माध्यम से निराकृत किया गया है, जिससे यह दर्शित होता है कि उक्त मामलों को न्यायालय में संस्थित होने से पहले ही निराकृत किया गया है, जो कि एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसके साथ ही न्यायिक अधिकारीगण द्वारा मीडियेशन के माध्यम से भी मामलों को निराकृत किये जा रहे हैं, जो एक सराहनीय प्रयास है। पक्षकार न्याय की आस में न्यायालय आता है, इसलिये पीडि़त पक्षकार को शीघ्र व सुलभ न्याय मिले, इस कार्य में लोक अदालत की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, जिसे न्यायाधीशगण पूर्ण जिम्मेदारी के साथ पूरा कर रहे हैं। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल ने कहा कि-निश्चित तौर पर लोक अदालत प्रकरणों के निराकरण का एक सरल एवं सशक्त माध्यम है। रायपुर, दुर्ग जैसे बड़े शहरों में अत्यधिक संख्या में प्रकरण लंबित रहते हैं, जिसमें मोटर दुर्घटना एवं एनआई एक्ट में चेक अनादरण के मामले अधिक होते है, जिसे लोक अदालत के माध्यम से आसानी से आपसी समझाईस से निराकृत किये गये हैं जो लोक अदालतों की सफलता को दर्शाता है और इसमें न्यायाधीशों का सहयोग प्रशंसनीय है। मुख्य न्यायाधीश के द्वारा उपरोक्त कार्यक्रम में वर्ष 2023 में अब तक आयोजित नेशनल लोक अदालतों में उत्कृष्ठ प्रदर्शन करने वाले जिलों के जिला न्यायाधीशों/अध्यक्ष एवं फैमिली कोर्ट के न्यायाधीश को प्रतीक चिन्ह एवं समस्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर पुरस्कृत किया गया। गौरतलब है कि वर्ष 2023 में माह फरवरी, मई एवं सितम्बर में आयोजित नेशनल लोक अदालतों में निराकृत प्रकरणों की संख्या के आधार पर प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान, कुटुम्ब न्यायालय के जिलों द्वारा सर्वाधिक निराकृत प्रकरण वाले जिले तथा अत्याधिक सफलता औसत अनुसार वाले जिले को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।