Home Uncategorized कै‎बिनेट ‎विस्तार के दौरान अजित पवार को है वित्त विभाग ‎मिलने का...

कै‎बिनेट ‎विस्तार के दौरान अजित पवार को है वित्त विभाग ‎मिलने का इंतजार

15
0

मुंबई । महाराष्ट्र में कै‎बिनेट ‎‎विस्तार की चर्चाएं जोरों पर चल रही है, ‎जिसमें अ‎जित पवार को ‎वित्त ‎विभाग ‎मिलने का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। हालां‎कि यहां मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर खींचतान की स्थिति लगातार बनी हुई है। जबसे अजित पवार एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस वाली सरकार में शामिल हुए हैं तब से मंत्रालय और कैबिनेट विस्तार को लेकर अलग-अलग तरह की चर्चाएं हैं। जानकार बताते हैं ‎कि अजित पवार और उनके खेमे के विधायकों ने मंत्री पद की शपथ तो ले ली है लेकिन उन्हें अब भी विभागों का इंतजार है। इन सबके बीच खबर यह है कि वित्त मंत्रालय अजित पवार को मिल सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह देवेंद्र फडणवीस के लिए बड़ा झटका होगा। फडणवीस फिलहाल वित्त मंत्रालय भी ‎जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। य‎दि ऐसा हो जाता है तो एनसीपी को महत्वपूर्ण वित्त विभाग का आवंटन अजित पवार के लिए एक बड़ी जीत होगी। ले‎किन भाजपा विधायकों के लिए एक झटका भी होगा जो अपने नए गठबंधन सहयोगी को ज्यादा महत्व देने को तैयार नहीं हैं।
सूत्रों की मानें तो अजित पवार के नेतृत्व वाले राकांपा गुट के सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा बनने के बाद से फड़णवीस और शिंदे खेमे के विधायकों के बीच असंतोष की सुगबुगाहट तेज हो गई है। महाराष्ट्र कैबिनेट विस्तार में देरी का कारण अजित पवार के खेमे और एकनाथ शिंदे गुट के बीच वित्त और योजना विभागों को लेकर गतिरोध बताया जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि पवार राकांपा के लिए वित्त और सहकारी मंत्रालय सुरक्षित करने पर अड़े हुए हैं, लेकिन शिंदे खेमा इससे नाखुश है। माना जा रहा है कि 10-11 जुलाई को शिंदे, उनके डिप्टी फडणवीस और अजित पवार के बीच देर रात हुई बातचीत में यह झगड़ा सुलझ गया होगा।
वर्तमान के राजनीतिक हालात को देखें तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के लिए यह इतना आसान नहीं है। अजित पवार गुट अहम मंत्रालयों की मांग पर अड़ा हुआ है जिसमें वित्त, गृह और सहकारिता मंत्रालय भी शामिल है। वित्त और सहकारिता मंत्रालय को लेकर अजित पवार गुट और शिंदे गुट में खींचतान है। शिंदे गुट सहकारिता मंत्रालय किसी भी कीमत पर नहीं देना चाहता है। एनसीपी गुट इस मंत्रालय को लेने पर अड़ा हुआ है। इसका बड़ा कारण यह भी है कि दर्जन भर से अधिक एनसीपी नेता सहकारी या निजी चीनी कारखाने चला रहे हैं। उनका सहकारी बैंकों पर भी नियंत्रण है।