असम में हो रहे परिसीमन पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी की स्वीकृति और आम सहमति जरूरी है। इसको लेकर 11 विपक्षी दलों के नेताओं ने गुरुवार को उनसे मुलाकात की थी।
कांग्रेस समेत असम के 11 राजनीतिक दलों के नेताओं ने असम के लिए परिसीमन से जुड़े मसौदे पर सवाल खड़े करते हुए शुक्रवार को यहां प्रदर्शन किया।
उन्होंने चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपकर अपनी आपत्तियां जताई हैं। प्रतिनिधि मंडल में एआईसीसी महासचिव जितेंद्र सलावर, पीसीसी अध्यक्ष भूपेन बोरा, कांग्रेस पार्टी के लोकसभा में उपनेता गौरव गोगोई और असम में विधायक दल के नेता डी सैकिया, टीएमसी, एनसीपी, सीपीएम और जेडीयू समेत क्षेत्रीय दलों के नेता शामिल थे। विपक्षी दलों के नेता इसके खिलाफ जंतर-मंतर पर धरने पर बैठेंगे और बाद में चुनाव आयोग को एक ज्ञापन सौंपेंगे।
दरअसल, असम के 20 जून को जारी परिसीमन मसौदे में विधानसभा और लोकसभा दोनों के अधिकांश निर्वाचन क्षेत्रों की भौगोलिक सीमाओं को बदलने और कुछ सीटें खत्म करने की योजना है। कुछ सीटें नई बनाई जाएंगी। विधानसभा की सीटों को 126 और लोकसभा को 14 रखने का प्रस्ताव किया गया है। इसके चलते राज्य में विपक्षी दलों के साथ-साथ सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के सहयोगियों ने भी विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। असम में पिछला परिसीमन 1976 में हुआ था।
कांग्रेस के गौरव गोगोई ने कहा कि असम में विपक्षी दलों से परामर्श किए बिना, असम के लोगों से परामर्श किए बिना और वर्तमान 2011 के आंकड़ों का उपयोग किए बिना परिसीमन अभ्यास किया जा रहा है।
असम के लिए परिसीमन भाजपा को फायदा पहुंचाने का प्रयास- आप
असम के लिए परिसीमन को लेकर आम आदमी पार्टी ने भी निशाना साधा है। आप शुक्रवार को असम के लिए परिसीमन पर चुनाव आयोग के मसौदे को विसंगतियों से भरा करार दिया और आरोप लगाया कि राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए चुनाव आयोग ने मानदंडों से खिलवाड़ किया।
मसौदे पर सवाल उठाते हुए, अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी ने मांग की कि चुनाव पैनल या तो असम में जनसंख्या में वृद्धि और अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए अपने प्रस्ताव को संशोधित करे या 2026 में अन्य राज्यों के साथ नए सिरे से परिसीमन अभ्यास करने के लिए इसे वापस ले।
20 जून को असम के लिए परिसीमन का मसौदा दस्तावेज जारी करते हुए, चुनाव आयोग (ईसी) ने राज्य में विधानसभा सीटों की संख्या 126 और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या 14 बरकरार रखने का प्रस्ताव रखा। कई सिफ़ारिशों में, पोल पैनल ने यह भी प्रस्ताव दिया कि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा सीटों को आठ से बढ़ाकर नौ और अनुसूचित जनजाति की सीटों को 16 से बढ़ाकर 19 कर दिया जाए।