श्रीनगर। शोपियां रेप केस में झूठी मेडिकल रिपोर्ट लिखने वाले दो डॉक्टरों को जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बर्खास्त कर दिया है। दोनों डॉक्टरों पर पाकिस्तान के कहने पर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में जानकारी बदलने का आरोप था, ताकि घाटी में हिंसा भड़काई जा सके और सेना को टारगेट किया जा सके। 30 मई 2009 में जम्मू-कश्मीर के शोपियां में दो
श्रीनगर। शोपियां रेप केस में झूठी मेडिकल रिपोर्ट लिखने वाले दो डॉक्टरों को जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बर्खास्त कर दिया है। दोनों डॉक्टरों पर पाकिस्तान के कहने पर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में जानकारी बदलने का आरोप था, ताकि घाटी में हिंसा भड़काई जा सके और सेना को टारगेट किया जा सके। 30 मई 2009 में जम्मू-कश्मीर के शोपियां में दो महिलाओं आसिया और नीलोफर के शव नदी में मिले थे। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दोनों के साथ रेप का दावा किया गया था। रेप का आरोप सेना के जवानों पर लगा था। उस वक्त इस रिपोर्ट के चलते कश्मीर में हिंसा भड़की थी और 42 दिन तक घाटी बंद रही थी। इस केस में सीबीआई ने 14 दिसंबर 2009 को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में चार्जशीट पेश की थी। इसमें डॉ. बिलाल अहमद और डॉ. निगहत शाहीन चिल्लू के साथ ही 13 अन्य लोगों पर सबूत से छेड़छाड़ के सबूत मिले थे। सेना के जवानों पर लगाए गए आरोप झूठे निकले थे।
महिलाओं आसिया और नीलोफर के शव नदी में मिले थे। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दोनों के साथ रेप का दावा किया गया था। रेप का आरोप सेना के जवानों पर लगा था। उस वक्त इस रिपोर्ट के चलते कश्मीर में हिंसा भड़की थी और 42 दिन तक घाटी बंद रही थी। इस केस में सीबीआई ने 14 दिसंबर 2009 को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में चार्जशीट पेश की थी। इसमें डॉ. बिलाल अहमद और डॉ. निगहत शाहीन चिल्लू के साथ ही 13 अन्य लोगों पर सबूत से छेड़छाड़ के सबूत मिले थे। सेना के जवानों पर लगाए गए आरोप झूठे निकले थे।