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छत्तीसगढ़ के बच्चों में लर्निंग लॉस में आया सुधार: 90 प्रतिशत विद्यार्थी अपने कक्षा स्तर पर पहुंचे

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कोरोना काल के कारण बच्चों में हुए लर्निंग लॉस में छत्तीसगढ़ में अपनाई गई उचित रणनीति और सतत् प्रयास से तेजी से सुधार हुआ है। लर्निंग लॉस के आकलन के लिए 27 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों पर किए गए सर्वे के अनुसार अब लर्निंग लॉस के विद्यार्थियों का आंकड़ा 51 से घटकर 7 से 8 प्रतिशत रह गया है। वार्षिक परीक्षा के आधार पर 90.13 प्रतिशत विद्यार्थी अपने कक्षा स्तर पर आ गए हैं। इसके साथ ही न्यूनतम व प्रारंभिक स्तर के विद्यार्थियों का प्रतिशत घटकर लगभग 4 प्रतिशत रह गया है।

कोरोना काल में लंबे समय से स्कूलों के बंद रहने के कारण कई प्रयासों के बाद भी बच्चों में लर्निंग लॉस देखा गया। इसके आकलन के लिए राज्य स्तरीय आकलन प्रणाली में बड़ा बदलाव लाते हुए उसे नया स्वरूप दिया गया। एससीईआरटी द्वारा प्रश्न पत्रों के परम्परागत पैटर्न में बड़ा बदलाव लाया गया। एनआईसी की सहयोग से ऑनलाईन ऑटोमेटेड असेसमेंट एनालिसिस सिस्टम तैयार किया गया है। इससे सुनिश्चित किया जा सका कि विद्यार्थी अपनी कक्षा स्तर से कितने स्तर नीचे है।

कोरोना काल के बाद प्रथम आकलन में पाया गया कि 51 प्रतिशत विद्यार्थी अपनी कक्षा के लायक नहीं थे। इस लर्निंग लॉस की बड़ी चुनौती को शिक्षा सचिव एस. भारतीदासन और  संचालक राजेश सिंह राणा ने स्वीकार करते हुए कई कार्यक्रम शुरू किए। विद्यार्थियों को अपने कक्षा स्तर पर लाने के लिए ‘ब्रिज कोर्स’ (सेतु पाठ्यक्रम) का निर्माण किया गया तथा शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम द्वारा उपचारात्मक शिक्षण हेतु ‘नवाजतन’ कार्यक्रम की शुरूआत की गई। स्कूल मॉनिटरिंग को सशक्त किया गया। परिणाम स्वरूप मिडलाइन टेस्ट (अर्द्धवार्षिक परीक्षा) में 75.13 प्रतिशत विद्यार्थी अपने कक्षा स्तर पर पहुंच गए तथा वे 29 प्रतिशत विद्यार्थी जो लगभग प्रारंभिक स्तर पर पहुंच गए थे उनकी संख्या घटकर 11 प्रतिशत पर आ गई। इसी तरह एंडलाइन टेस्ट (वार्षिक परीक्षा) में 90.13 प्रतिशत विद्यार्थी अपने कक्षा स्तर पर आ गए तथा न्यूनतम/प्रारंभिक स्तर के विद्यार्थियों का प्रतिशत घटकर लगभग 4 प्रतिशत रह गया।
छत्तीसगढ़ की इस सफलता की देशभर में तारीफ हुई है। नीति आयोग से लेकर राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान परिषद ने छत्तीसगढ़ की तारीफ करते हुए यहां के शिक्षा गुणवत्ता में सुधार लाने के उपायों को कारगर बताया है।

गौरतलब है कि कोरोना काल में जब शिक्षण संस्थाएं अनिश्चित काल के लिए बंद कर दी गई थी, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर प्रमुख सचिव श्री आलोक शुक्ला द्वारा एक माह से भी कम समय में ‘पढ़ई तुंहर दुआर’ ऑनलाईन शिक्षा पोर्टल का निर्माण कर ऑनलाईन कक्षाओं का संचालन शुरू किया गया। पहली से 12 तक की सभी पाठ्यपुस्तकों को इस पोर्टल पर अपलोड किया गया ताकि कोई भी विद्यार्थी अपने मोबाईल पर इसे आसानी से पढ़ सके। कोविड संक्रमण कम होते ही मोहल्ला कक्षा, लाउडस्पीकर कक्षा, अंगना म शिक्षा जैसे नवाचारी ऑफलाईन शिक्षण माध्यमों को अपनाया गया।