क्या BPCL के निजीकरण के बाद भी उपभोक्ताओं को मिलेगी गैस सिलिंडर पर सब्सिडी?

नवंबर 2020 में देश की दूसरी सबसे बड़ी ईंधन रिटेलर कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) के निजीकरण के लिए सरकार को कई बोलियां प्राप्त हुईं। इसके लिए वेदांता ने भी दिलचस्पी दिखाई। लेकिन इस बीच ग्राहकों को इस बात की चिंता है कि बीपीसीएल के निजीकरण के बाद उन्हें पहले की ही तरह सिलिंडर पर सब्सिडी मिलेगी या नहीं।
सब्सिडी पर नहीं होगा कोई असर
इस संदर्भ में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि कंपनी के निजीकरण के बाद भी उसके उपभोक्ताओं को रसोई गैस सब्सिडी मिलती रहेगी। प्रधान ने कहा कि, ‘एलपीजी पर सब्सिडी सीधे उपभोक्ताओं को दी जाती है और किसी कंपनी को नहीं। इसलिए एलपीजी बेचने वाली कंपनी के स्वामित्व का कोई असर (सब्सिडी पर) नहीं होगा।’
कितनी मिलेगी सब्सिडी?
मालूं हो कि सरकार प्रत्येक कनेक्श पर हर वर्ष अधिकतम 12 रसोई गैस सिलिंडर (14.2 किलोग्राम गैस वाले) पर सब्सिडी प्रदान करती है। यह सब्सिडी सीधे उपभोक्ताओं के बैंक खातों में दी जाती है। उपभोक्ता डीलर से बाजार मूल्य पर एलपीजी खरीदते हैं और बाद में सब्सिडी उनके खाते में आती है। सरकार तेल विपणन कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), बीपीसीएल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के उपभोक्ताओं को सब्सिडी देती है। एलपीजी सब्सिडी का भुगतान सभी सत्यापित ग्राहकों को डिजिटल रूप से किया जाता है।
सरकार बेच रही है अपनी पूरी हिस्सेदारी
आगे उन्होंने कहा कि, ‘चूंकि यह उपभोक्ताओं को सीधे भुगतान की जाती है, इसलिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सेवा देने वाली कंपनी सार्वजनिक क्षेत्र की है या निजी क्षेत्र की।’ विनिवेश के बाद भी बीपीसीएल के उपभोक्ताओं को एलपीजी सब्सिडी पहले की तरह मिलती रहेगी। सरकार बीपीसीएल में प्रबंधन नियंत्रण के साथ अपनी पूरी 53 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है। कंपनी के नए मालिक को भारत की तेल शोधन क्षमता का 15.33 फीसदी और ईंधन बाजार का 22 फीसदी हिस्सा मिलेगा। देश के कुल 28.5 करोड़ एलपीजी उपभोक्ताओं में 7.3 करोड़ उपभोक्ता बीपीसीएल के हैं।

